मोस्ट वांटेड कौन?
अरे छोडि़ए, हम मोस्ट वांटेड को ढूंढ़ रहे थे। भक्तों की संख्या देखकर एक बार तो भगवान भी मोस्ट वांटेड लगते हैं। भारत बड़ा हिप्पोके्रटिक देश है। यह बात कहने वाले बहुत मिलेंगे कि प्रभु प्राप्ति ही जीवन का ध्येय है। साथ ही यह कहते भी नहीं भूलते कि भगवान को आज तक किसी ने नहीं देखा है। यह बात दूसरी है कि यहां हर दूसरा साधु भगवान से मीटिंग कराने की गारंटी लेता मिलेगा। हमारी शरण मेें आओ भगवान की प्राप्ति बहुत आसानी से होगी। जितनी देर चाहो बातें करना। देश में भगवान से मिलाने वाले इतनी अधिक संख्या में हैं कि भगवान को मोस्ट वांटेड की कैटेगिरी में रखना गलत प्रतीत होता है।
मोस्ट वांटेड कौन है? इसे जानने के लिए दिमाग के तमाम घोड़े पूरी स्पीड से दौड़ा लिए, पर मोस्ट वांटेड का पता फिर भी नहीं लगा। घोड़े थक गए तो सर्वे का सहारा लिया। लोगों ने अपने-अपने हिसाब से मोस्ट वांटेड की सूची मुझे सौंप दी। सबका मोस्ट वांटेड अलग-अलग था।
एक दिन इंटरव्यू के लिए बस स्टैंड पर इंतजार कर रहा था। काफी देर तक बस नहीं आई तो रिक्शा पर ही चलने में भलाई समझी। मैं इंटरव्यू के ख्यालों में गुम था कि रिक्शावाले का मोबाइल गूंजा। रिक्शावाले भी मोबाइल रखने लगे हैं। यह सोचकर खुशी हुई कि देश प्रगति के रास्ते पर अनवरत अग्रसर हो रहा है।
बीच-बीच में रिक्शावाला अंग्रेजी के शब्द भी बोल रहा था। पता चला रिक्शावाला अच्छा पढ़ा-लिखा था। अपने समय का कॉलेज टॉपर था। नौकरी नहीं मिली। पापी पेट का सवाल है। लिहाजा रिक्शा खींचना ही शुरू कर दिया। मैंने उसकी शिक्षा के बारे में क्या पूछ लिया उसकी दुखती रग पर पांव रख दिया हो जैसे। कोई विभाग ऐसा नहीं था जहां उसने नौकरी के लिए आवेदन न किया हो। नौकरी नहीं मिली तो किसी बाप ने अपनी बेटी देने की जहमत नहीं उठाई।
रिक्शावाला बोल उठा, अगर नौकरी मिल गई होती तो मेरी जिंदगी का रुख और दु:ख कुछ और होता। नौकरी नहीं तो शादी नहीं, सुना तो दिमाग में फिर से मोस्ट वांटेड वाला विचार आया। ये दोनों ही मोस्ट वांटेड हैं। नौकरी और छोकरी। रास्ते में गल्र्स कॉलेज के पास लड़कों की भीड़ मंडरा रहीं थी। आगे पहुंचा तो पता चला दो पोस्ट के लिए दो हजार से अधिक ने आवेदन किया था।
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